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अमृत गंगा S3-10 अमृत गँगा सीज़न ३ की १० वीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हमें वचनों के उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए। बोलने से पहले सोच लेना चाहिए। कुछ गलत, बुरा होते देखें तो अवश्य बोलना चाहिए किन्तु सच जाने बिना, किसी को दोष देना या दंड देना अनुचित होगा। इस कड़ी […]

अमृत गंगा S2-34 अमृत गँगा सीज़न २ की चौंतीसवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं जो एक को दंड दे और दूसरे को क्षमादान! साथ ही,इसका यह अभिप्राय भी नहीं कि हम मनमाना जीवन जियें!कि मैं जैसे चाहूँ,जिऊंगा!” यही मनोभाव सब मुसीबतों की जड़ है। इस मनोभाव से न तो ‘हमें’ […]