Tag / गुरु

हम सबमें ज्ञान है किन्तु सजगता नहीं। इसीलिये, हम अपने जन्म-सिद्ध अधिकार की प्राप्ति में असमर्थ हैं। हम सोचते कुछ हैं, कहना कुछ चाहते हैं पर कह देते हैं कुछ और। और अन्ततः जो करते हैं वो उससे बिलकुल हट कर होता है। क्या यह हम सभी के लिये सत्य नहीं? हम सब मानो एक […]

एक बार एक व्यक्ति ने एक धनाढ्य इलाके में एक आलीशान भवन किराये पर लिया। धीरे-धीरे उसे भ्रम हो गया कि वो राजा है और बहुत अहंकारी हो गया। एक दिन एक साधु उसके घर पर भिक्षा मांगने आया तो उसने बड़ा निन्दनीय व्यवहार किया। साधु ने कहा, “तुमने यह घर किराये पर ही तो […]

प्राचीन काल में हुए हमारे महात्मा धैर्य व करुणा के प्रतीक थे। उनमें करुणा न होती तो यह जगत् सचमुच नरक-तुल्य ही होता। उनके त्याग तथा कृपा के बल पर ही यह विश्व टिका हुआ है। तनिक ध्यान दीजिये कि आज जगत् में क्या चल रहा है। इन ऋषियों की कृपा एवं त्याग का प्रकाश […]

ऋषि-मुनियों की पावन धरा भारत की विश्व को यह अनूठी वैचारिक देन है – गुरु। परन्तु हमारी पाश्चात्य देशों की नक़ल का परिणाम है कि आज बहुत से बच्चे इस विषय पर भ्रम को उत्पन्न कर रहे हैं। एक व्यक्ति ने हाल ही में अम्मा से पूछा, “गुरु के शरणागत होना तो दुर्बल मन का […]

प्रश्न— अम्मा, इस युग में आत्मज्ञान पाने के लिये कौन सा पथ श्रेष्ठ है? अम्मा— आत्मज्ञान कहीं बाहर बैठा हुआ नहीं है जिसे जाकर पाया जा सके। भगवान कृष्ण कहते हैं – ‘चित्त की समता ही योग है’। हमें हर वस्तु में दिव्य चेतना दिखनी चाहिये, तभी हम पूर्णता पा सकेंगे। हमें हर वस्तु में […]