अमृत गंगा S4-47 सीज़न 4, अमृत गंगा की सैंतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “गुरु-पूर्णिमा शिष्य को गुरु की पूर्णावस्था का स्मरण दिलाकर स्वयं उसे प्राप्त करने का संदेश देती है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘भवानी जय जय।’ प्रस्तुत कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा में – कोषीकोड कार्यक्रम।
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अर्जुन एवं कृष्ण गाढ़ मित्रों की भाँति साथ-साथ खेलते-कूदते बड़े हुए। उस समय भगवान् गीतोपदेश नहीं देते थे। परन्तु कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में जब अर्जुन पूर्णतः उद्विग्न हो गया और उसके भीतर का शिष्य जाग उठा, तब अर्जुन ने अपने सारथी-सखा कृष्ण को गुरु रूप में स्वीकार किया। अर्जुन के भीतर शिष्यत्व के […]
अमृत गंगा 11 अमृत गंगा की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि अनुभव सच्चा गुरु है। यदि हम अनुभवी लोगों के पदचिन्हों पर चलें तो हम एक ही जीवनकाल में वो पा सकते हैं, जिसे पाने में सामान्यतः सैंकड़ों जन्म लग जाते हैं। प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है […]
बच्चो, ऐसा नहीं लगता कि विश्व में आज जहाँ देखो, वहीं समस्याएं हैं? भारत के नगरों में बम्ब फटने का, आतंकवादी हमलों का भय है। अम्मा को ज्ञात है कि हम सब इनके तथा अन्य खतरों के विषय में चिंतित हैं। विश्व-भर की समस्याओं का एकमात्र उत्तर है – करुणा। सब धर्मों का मूलभूत सिद्धान्त […]
अर्जुन एवं कृष्ण गाढ़ मित्रों की भाँति साथ-साथ खेलते-कूदते बड़े हुए। उस समय भगवान् गीतोपदेश नहीं देते थे। परन्तु कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में जब अर्जुन पूर्णतः उद्विग्न हो गया और उसके भीतर का शिष्य जाग उठा, तब अर्जुन ने अपने सारथी-सखा कृष्ण को गुरु रूप में स्वीकार किया। अर्जुन के भीतर शिष्यत्व के […]

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