अमृत गंगा 31 अमृत गंगा की प्रस्तुत इकतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि क्षमा करना आसान तो नहीं, पर हमें कोशिश करनी चाहिए। अक्सर, हम दोनों तरफ़ की कहानी तो सुनते नहीं; दोनों को सुनने के बाद ही कुछ निर्णय लेना चाहिए। एक ही पक्ष की बात सुन कर, जल्दबाज़ी और तैश में आ […]
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कल्पना करो कि हम जन-समूह में हैं और हमें एक पत्थर आ कर लगता है और हमें चोट लग जाती है। ऐसे में होना यह चाहिए कि हम पत्थर मारने वाले को पकड़ने की बजाय पहले अपने घाव पर ध्यान दें, उसकी मरहम-पट्टी करें। किन्तु यदि हम पत्थर मारनेवाले के पीछे दौड़ेंगे तो अपने घाव […]
प्राचीन काल में हुए हमारे महात्मा धैर्य व करुणा के प्रतीक थे। उनमें करुणा न होती तो यह जगत् सचमुच नरक-तुल्य ही होता। उनके त्याग तथा कृपा के बल पर ही यह विश्व टिका हुआ है। तनिक ध्यान दीजिये कि आज जगत् में क्या चल रहा है। इन ऋषियों की कृपा एवं त्याग का प्रकाश […]

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