Tag / क्रोध

अमृत गंगा S2-26 अमृत गँगा सीज़न २ की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि साधकों को अपने सद्गुणों और ऊर्जा को इकठ्ठा करके गहरी पड़ी वासनाओं को निकाल फेंकना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, आलस्य, संशय, लोभ, और मद-मात्सर्य.. ये सब आसुरी वृत्तियाँ हैं। इन राक्षसी वृत्तियों और विषय-भोगों में प्रवृत्त लोग असुर कहलाते हैं। […]

अमृत गंगा 23 अमृत गंगा की तेईसवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि सब प्रकार के अनुभवों का कारण मन है। हमें अपने मन को जानना होगा। लोग हमें सराहें तो हम हर्षोल्लास से भर जाते हैं और आलोचना कर दें तो क्रोध और निराशा हमें घेर लेते हैं। जैसे संकट का भान […]

अमृत गंगा 15 अमृत गंगा की पंद्रहवीं कड़ी.. अम्मा हमें नियमित ध्यानाभ्यास और उसमें एकाग्रता की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। अम्मा कहती हैं कि ध्यानाभ्यास के कुछ क्षण भी सोने, हीरे-जवाहरात समान अनमोल होते हैं। लेकिन वो हमें चेतावनी भी दे रही हैं कि हम इस सोने और […]

कल्पना करो कि हम जन-समूह में हैं और एक पत्थर आ कर लगता है और हमें चोट लग जाती है। ऐसे में होना यह चाहिए कि हम मारने वाले को पकड़ने की बजाय पहले अपने घाव पर ध्यान दें, उसकी मरहम-पट्टी करें। किन्तु यदि हम मारने वाले के पीछे दौड़ेंगे तो अपने घाव को धूल […]

कल्पना करो कि हम जन-समूह में हैं और हमें एक पत्थर आ कर लगता है और हमें चोट लग जाती है। ऐसे में होना यह चाहिए कि हम पत्थर मारने वाले को पकड़ने की बजाय पहले अपने घाव पर ध्यान दें, उसकी मरहम-पट्टी करें। किन्तु यदि हम पत्थर मारनेवाले के पीछे दौड़ेंगे तो अपने घाव […]