अमृत गंगा S2-38 अमृत गँगा सीज़न २ की अड़तीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि अगर हममें अच्छा शिष्य बनने की उत्कण्ठा है तो हमें अपने गुरु को अपना घनिष्ठ मित्र समझना चाहिए। एक अच्छे, सच्चे मित्र की बात मानना हमारे लिए आसान होता है। उसकी बात हम खुले ह्रदय और पूरी एकाग्रता के […]
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अमृत गंगा S2-34 अमृत गँगा सीज़न २ की चौंतीसवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं जो एक को दंड दे और दूसरे को क्षमादान! साथ ही,इसका यह अभिप्राय भी नहीं कि हम मनमाना जीवन जियें!कि मैं जैसे चाहूँ,जिऊंगा!” यही मनोभाव सब मुसीबतों की जड़ है। इस मनोभाव से न तो ‘हमें’ […]

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