अमृत गंगा S2-34 अमृत गँगा सीज़न २ की चौंतीसवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं जो एक को दंड दे और दूसरे को क्षमादान! साथ ही,इसका यह अभिप्राय भी नहीं कि हम मनमाना जीवन जियें!कि मैं जैसे चाहूँ,जिऊंगा!” यही मनोभाव सब मुसीबतों की जड़ है। इस मनोभाव से न तो ‘हमें’ […]
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अमृत गंगा S2-12 अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता […]

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