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अमृत गंगा S2-26 अमृत गँगा सीज़न २ की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि साधकों को अपने सद्गुणों और ऊर्जा को इकठ्ठा करके गहरी पड़ी वासनाओं को निकाल फेंकना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, आलस्य, संशय, लोभ, और मद-मात्सर्य.. ये सब आसुरी वृत्तियाँ हैं। इन राक्षसी वृत्तियों और विषय-भोगों में प्रवृत्त लोग असुर कहलाते हैं। […]

अमृत गंगा 15 अमृत गंगा की पंद्रहवीं कड़ी.. अम्मा हमें नियमित ध्यानाभ्यास और उसमें एकाग्रता की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। अम्मा कहती हैं कि ध्यानाभ्यास के कुछ क्षण भी सोने, हीरे-जवाहरात समान अनमोल होते हैं। लेकिन वो हमें चेतावनी भी दे रही हैं कि हम इस सोने और […]