अमृत गंगा 26 अमृत गंगा की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि उपदेश पाने के बाद भी, हम उस पर ध्यान नहीं देते। हम नाहक ही मुसीबतें खड़ी करके, उनमें फंस जाते हैं। तनाव और चिंता मुफ़्त मिलते हैं इसलिए हम उन्हें जी भर ले लेते हैं। इसके फलस्वरूप कई बीमारियाँ हो सकती हैं, […]
अध्यतन वार्ता
- शिवरात्रि – सजकता का तत्व!
- व्रत – मन को नियंत्रण में रखने का साधन
- भक्ति और साधना से मन की शुद्ध करें
- व्रत, तप और जप से मन को संयमित कर सकते हैं
- अतीत से शिक्षा लेकर आगे बढ़े
- महान प्राप्ति के लिए उत्साह आवश्यक है
- विपत्ति – जीवन में सावधानी एवं सतर्कता लाती है
- साहसी, संकट को सफलता की सीड़ी बनाते है
- प्रयत्न और परिश्रम का स्थान कोई वस्तु नहीं ले सकता
- सकारात्मक चिंता एवं भाव सफलता के लिए अनिवार्य है
When Love is there, distance dosen't matter.
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