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अमृत गंगा S2-05 अमृत गँगा, सीज़न २ की पाँचवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि जगत में रहते-रहते हम वासनाओं का निर्माण कर लेते हैं। लेकिन जब तक वासनाएं हैं, तब तक दुःख भी रहेंगे। जहाँ आग है, वहां धुआँ तो होगा! जब मन का झूला सुख की ओर जा रहा होता है, तब […]

अमृत गंगा 22 अमृत गंगा की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि सृष्टि की रचना पहले भीतर होती है, फिर बाहर! इसे स्पष्ट करने के लिए, वो उस पेंटर का उदाहरण दे रही हैं जो बाहर पेंटिंग में अभिव्यक्त करने से पहले, उसके विषय में भीतर सोचता है…उस कुम्हार का जो मिट्टी हाथ […]