अमृत गंगा S2-27 अमृत गँगा सीज़न २ की सत्ताईसवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि आजकल लोगों का भाव है कि, “मुझे जो चाहिए, वो चाहिए ही। मुझे दूसरों से क्या लेना-देना?” इसी तरह गृहस्थ जीवन में भी पति पत्नी से प्रेम की याचना करता है और पत्नी पति से। सब प्रेम पाना चाहते हैं। […]
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अमृत गंगा 22 अमृत गंगा की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि सृष्टि की रचना पहले भीतर होती है, फिर बाहर! इसे स्पष्ट करने के लिए, वो उस पेंटर का उदाहरण दे रही हैं जो बाहर पेंटिंग में अभिव्यक्त करने से पहले, उसके विषय में भीतर सोचता है…उस कुम्हार का जो मिट्टी हाथ […]

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