अमृत गंगा S3-05 अमृत गँगा, सीज़न ३ की पांचवी कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि हम सबका अपना-अपना दृष्टिकोण होता है! हम अपनी-अपनी मानसिकता के अनुसार देखते और आकलन करते हैं। कोई शिल्पी ही एक पत्थर में से सुन्दर मूर्ति गढ़ सकता है। कोई इसे भवन-निर्माण में इस्तेमाल कर सकता है तो कोई भले […]
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अमृत गंगा S2-34 अमृत गँगा सीज़न २ की चौंतीसवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं जो एक को दंड दे और दूसरे को क्षमादान! साथ ही,इसका यह अभिप्राय भी नहीं कि हम मनमाना जीवन जियें!कि मैं जैसे चाहूँ,जिऊंगा!” यही मनोभाव सब मुसीबतों की जड़ है। इस मनोभाव से न तो ‘हमें’ […]

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