अमृत गंगा S2-15 अमृत गँगा सीज़न २, की पंद्रहवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि अभी हमारा अपने मन पर संयम नहीं है। मन संसार-चक्र में फंसा है और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति हेतु हमें इससे मुक्त होना होगा। हमें बाह्य और भीतरी अनुशासन और प्रार्थना की आवश्यकता है और मन्त्रों व यज्ञों की भी। ये […]
अध्यतन वार्ता
- जो देंगे वही पाएंगे
- विनम्रता से भाईचारा और प्रेम बढ़ता है
- अनुशासन से इंद्रियों का सही उपयोग हो सकता है
- गहरी समझ भूझ से ही कर्मों में शुचिता आएगी
- परस्पर भावनाओं का ध्यान रखना सच्ची संस्कृति है
- शिक्षा वो जो सुसंस्कृत करने में सक्षम हो
- सच्चे ज्ञान से वर्तमान में रहना सीख सकते हैं
- सही ज्ञान विनयता लाती है
- माँ शब्द प्रतीक है, परम कारुण्य और वात्सल्य का
- हर चीज के लिए आभार प्रकट करना हमारी संस्कृति है
When Love is there, distance dosen't matter.
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