अमृत गंगा S3-95 सीज़न 3, अमृत गंगा की पंचानवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, ‘मनुष्य की दिव्यत्व की ओर कैसे गति हो – दर्शाने के लिए ईश्वर मानव-अवतार लेता है।’ अम्मा के कार्यक्रम ‘ऑस्ट्रेलिया’ में ब्रिस्बेन में। अम्मा भजन गाती हैं ‘सीताराम’ सीताराम ‘ ।
अध्यतन वार्ता
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
- कर्मों का महत्त्व मनोभाव में निहित है
- मन ही अपना मित्र और शत्रु है
- धर्म से ही जग में समरसता है
- धर्म का प्रभाव समूचे प्रपंच में सम होता है
- राम राज्य सर्वोत्तम राज्य का पर्याय है
When Love is there, distance dosen't matter.
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