अमृत गंगा 27 अमृत गंगा की सत्ताईसवीं कड़ी में, अम्मा फिर से तनाव और चिंता की बात कर रही हैं। अम्मा कह रही हैं कि चिंता एक चोर जैसी है जो हमारा समय और विश्वास..दोनों चुरा लेती है। चिंता का कोई कारण न भी हो तो हम सोचते हैं कि कुछ बुरा हो जायेगा। पीछे […]
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अमृत गंगा 22 अमृत गंगा की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि सृष्टि की रचना पहले भीतर होती है, फिर बाहर! इसे स्पष्ट करने के लिए, वो उस पेंटर का उदाहरण दे रही हैं जो बाहर पेंटिंग में अभिव्यक्त करने से पहले, उसके विषय में भीतर सोचता है…उस कुम्हार का जो मिट्टी हाथ […]