अमृत गंगा S3-81 सीज़न 3, अमृत गंगा की इक्यासीवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, ‘हमें बस कर्म करने का अधिकार है; ईश्वर की इच्छा ’पूर्ति’ करती है।’ अम्मा की यात्रा बढ़ चली है ‘टोरंटो’ की ओर। अम्मा भजन गाती हैं ‘मन समझे’।
अध्यतन वार्ता
- विषाद – परमात्मा स्मरण का अवसर
- महात्मा के सामीप्य से ईश्वरत्व जगता है
- साधना नाम है सावधानी का
- ध्यान दे तो हर वस्तु शिक्षाप्रद है
- हर व्यक्ति, वस्तु हमारा गुरु हो सकता है
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
When Love is there, distance dosen't matter.
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