अमृत गंगा S2-28 अमृत गँगा,सीज़न २ की अट्ठाईसवीं कड़ी में,अम्मा कहती हैं कि अनुशासन की आवश्यकता हमारे अपने हितार्थ है। शरीर और मन को उपयोगी पात्र होना चाहिए। यदा-कदा उपवास करने से शरीर के भीतरी अवयवों की शुद्धि होती है। अंतःकरण की शुद्धि के लिए यम-नियम के पालन की आवश्यकता होगी। इस कड़ी में अम्मा […]
अध्यतन वार्ता
- विषाद – परमात्मा स्मरण का अवसर
- महात्मा के सामीप्य से ईश्वरत्व जगता है
- साधना नाम है सावधानी का
- ध्यान दे तो हर वस्तु शिक्षाप्रद है
- हर व्यक्ति, वस्तु हमारा गुरु हो सकता है
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
When Love is there, distance dosen't matter.
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