पत्नी का ऐसा ही सम्बन्ध पति के साथ होना चाहिए। जब पति दफ्तर से घर लौटे तो उसका मुस्कुरा कर स्वागत करे। उस समय जो कुछ कर रही हो उसे छोड कर, चेहरे पर मुस्कान लिए लपक कर दरवाजे पर जाना चाहिए। फिर प्रेम सहित उसके लिए कुछ पेय ले आये व उसके साथ बैठ […]
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वर्तमान समय में धर्म का पतन तथा गृहस्थाश्रम का धर्म पुराने समय में “भौतिक” तथा “आध्यात्मिक”-दो भिन्न विभाग नहीं थे। परमात्मा की प्राप्ति प्रत्येक का लक्ष्य था। गृहस्थ जीवन व आध्यात्मिक जीवन की प्रगति साथ-साथ होती थी। जन्म के तुरंत पश्चात, माता-पिता बच्चों के कानों में प्रभु के नाम का उच्चारण करते थे, इस प्रकार […]
“बच्चों, हमारे पास कितनी भी संपत्ति हो, यदि हमें परिवार व समाज में इसके स्थान या इसके उचित प्रयोग की जानकारी न हो, तो प्रसन्नता हमसे दूर ही रहती है। असीम संपत्ति से भी प्राप्त सुख अनित्य होता है, नित्य नहीं। कंस और हिरण्यकशिपु क्या अतुल्य संपत्ति के स्वामी नहीं थे? रावण के पास सब […]