श्री माता अमृतानन्दमयी देवी का अय्यप्पा भक्त समागम को सम्बोधन २० जनवरी,२०१९ ,अय्यप्पा भक्त समागम, पुत्तरीकंडम मैदान, तिरुवनन्तपुरम “अय्यप्पा शास्तावे की जय… शरणम अय्यपा स्वामिये की जय…।” “प्रेम-स्वरुप,आत्मस्वरूप, यहाँ उपस्थित सभी को प्रणाम! जिन आचार्यों ने अम्मा को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया, उन्हें भी प्रणाम। शबरीमला मंदिर से सम्बन्धित हाल ही की घटनाएँ अति दुर्भाग्यपूर्ण रही […]
अध्यतन वार्ता
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
- कर्मों का महत्त्व मनोभाव में निहित है
- मन ही अपना मित्र और शत्रु है
- धर्म से ही जग में समरसता है
- धर्म का प्रभाव समूचे प्रपंच में सम होता है
- राम राज्य सर्वोत्तम राज्य का पर्याय है
When Love is there, distance dosen't matter.
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