अमृत गंगा S2-20 अमृत गँगा,सीज़न २ की बीसवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारी आदतें हमारा स्वभाव बन कर हमें अपने वश में कर लेती हैं। हम राग-द्वेष और अपनी आदतों के दास हैं। चूँकि हम क्षणिक सुखों के पीछे भागते रहते हैं इसीलिये आध्यात्मिक स्वातंत्र्य अथवा आनन्द को अनुभूत नहीं कर पाते। […]
अध्यतन वार्ता
- विनम्रता से भाईचारा और प्रेम बढ़ता है
- अनुशासन से इंद्रियों का सही उपयोग हो सकता है
- गहरी समझ भूझ से ही कर्मों में शुचिता आएगी
- परस्पर भावनाओं का ध्यान रखना सच्ची संस्कृति है
- शिक्षा वो जो सुसंस्कृत करने में सक्षम हो
- सच्चे ज्ञान से वर्तमान में रहना सीख सकते हैं
- सही ज्ञान विनयता लाती है
- माँ शब्द प्रतीक है, परम कारुण्य और वात्सल्य का
- हर चीज के लिए आभार प्रकट करना हमारी संस्कृति है
- निष्काम प्रेम उत्तम भक्ति का प्रतीक है
When Love is there, distance dosen't matter.
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