यज्ञ का सिद्धांत है कि कोई कहीं भी, किसी भी युग में रहे, सभी लोगों को प्रकृति के नियमानुसार परस्पर प्रेम तथा एकतासहित रहना चाहिए। हम प्रकृति से जितना लेते हैं उसके बदले में उसे कुछ लौटाने की कर्तव्य-भावना से इस पंचमहायज्ञ के चलन का श्रीगणेश हुआ। गृहस्थाश्रमियों के लिए जिन पंचमहायज्ञों का विधान है, […]
अध्यतन वार्ता
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
- कर्मों का महत्त्व मनोभाव में निहित है
- मन ही अपना मित्र और शत्रु है
- धर्म से ही जग में समरसता है
- धर्म का प्रभाव समूचे प्रपंच में सम होता है
- राम राज्य सर्वोत्तम राज्य का पर्याय है
When Love is there, distance dosen't matter.
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