अमृत गंगा S2-46 अमृत गँगा,सीज़न २, की छियालीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि प्रायः,हम ईश्वर को केवल दुःख के समय पुकारते हैं; इसीलिये दुःख हमें ईश्वर के समीपतर ले जाता है! ऐसा तभी संभव है यदि दुःख-मुसीबत में हमारा बोध बना रहे! यदि हमारे ह्रदय में बाल-सुलभ निष्कलङ्कता लिए प्रार्थना करेंगे तो निश्चय […]
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अमृत गंगा 22 अमृत गंगा की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि सृष्टि की रचना पहले भीतर होती है, फिर बाहर! इसे स्पष्ट करने के लिए, वो उस पेंटर का उदाहरण दे रही हैं जो बाहर पेंटिंग में अभिव्यक्त करने से पहले, उसके विषय में भीतर सोचता है…उस कुम्हार का जो मिट्टी हाथ […]