अमृत गंगा S3-05 अमृत गँगा, सीज़न ३ की पांचवी कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि हम सबका अपना-अपना दृष्टिकोण होता है! हम अपनी-अपनी मानसिकता के अनुसार देखते और आकलन करते हैं। कोई शिल्पी ही एक पत्थर में से सुन्दर मूर्ति गढ़ सकता है। कोई इसे भवन-निर्माण में इस्तेमाल कर सकता है तो कोई भले […]
अध्यतन वार्ता
- विषाद – परमात्मा स्मरण का अवसर
- महात्मा के सामीप्य से ईश्वरत्व जगता है
- साधना नाम है सावधानी का
- ध्यान दे तो हर वस्तु शिक्षाप्रद है
- हर व्यक्ति, वस्तु हमारा गुरु हो सकता है
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
When Love is there, distance dosen't matter.
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