अमृत गंगा 18 अमृत गंगा की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि जब चीज़ें हमारे मन मुताबिक न हों तो इसे अपने पूर्वकर्मों का फल समझना चाहिए; भाग्य को दोष नहीं देना चाहिए। रोने-धोने की बजाय हमें इसे स्वीकार करके, आगे बढ़ जाना चाहिए। अगर कोई फ़िसल कर गिर जाता है तो […]
अध्यतन वार्ता
- मुस्कुराना-आदत बनाओ
- नयापन निःस्वार्थ प्रेम एवं कर्म से जुड़ा है
- आध्यात्म से मृत्यु को स्वीकारना सहज बनता है
- परिवर्तनशील जगत में नयापन अल्पकालिक है
- जैसी करनी वैसी भरनी
- कल के लिए कोई काम न टाले
- आध्यात्मिक अनुशासित दिनचर्या आवश्यक है
- साधना में मनोभाव का प्राधान्य है
- दूसरों के काम आए, वही सच्ची संपत्ति और ऐश्वर्य है
- छोटे-छोटे कर्मों में भी सतर्कता भरते
When Love is there, distance dosen't matter.
Download Amma App and stay connected to Amma
