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अमृत गंगा S3-100 सीज़न 3, अमृत गंगा की सौवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, ‘भगवान को केवल शुद्ध हृदय प्रिय है। धन धार्मिक कार्यों के लिए अर्पण करें लेकिन भेंट के पीछे भाव अधिक महत्वपूर्ण है।’ अम्मा के कार्यक्रम कुआलालम्पुर (मलेशिया) में जारी हैं। अम्मा भजन गाती हैं ‘मथुराधिपते‘ ।

अमृत गंगा S2-30 अमृत गँगा सीज़न २ की तीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रति दृढ़ संकल्प लेना चाहिए। जीवन आकस्मिक, अप्रत्याशित घटनाओं की शृंखला का नाम है। हमें अपना ध्यान रुकावटों से हटा कर लक्ष्य की ओर केंद्रित करना चाहिए। हम पीछे मुड़-मुड़ कर देखते रहे तो […]

अमृत गंगा S2-20 अमृत गँगा,सीज़न २ की बीसवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारी आदतें हमारा स्वभाव बन कर हमें अपने वश में कर लेती हैं। हम राग-द्वेष और अपनी आदतों के दास हैं। चूँकि हम क्षणिक सुखों के पीछे भागते रहते हैं इसीलिये आध्यात्मिक स्वातंत्र्य अथवा आनन्द को अनुभूत नहीं कर पाते। […]

अमृत गंगा S2-17 अमृत गँगा सीज़न २ की सत्रहवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारा मन ध्वनि-प्रदूषण में फंसा हुआ है और हमें इसे संयमित करने का प्रयत्न करना चाहिए। ऋषि-मुनियों ने निरंतर प्रयत्न द्वारा इसकी प्राप्ति की। उसी प्रकार हमें भी ध्यान आदि जैसी आदतें विकसित करनी चाहियें। जब मन भटके तो […]