अमृत गंगा S2-49 अमृत गंगा,सीज़न २ की उनचासवीं कड़ी में,अम्मा ने कहा कि टेंशन-रहित तो आज कोई नहीं है; थोड़ी-बहुत tension तो हमेशा रहेगी; वस्तुतः यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकती है और हमारी प्रतिभाओं व अंतरात्मा को जगा सकती है; हमें सुबह जल्दी उठने में सहायक हो सकती है। लेकिन अनावश्यक tension […]
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अमृत गंगा S2-44 अमृत गँगा, सीज़न २ की चौवालीसवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि लहरों में तैरना जानने वाला, आनन्द का भागी होता है जबकि तैराकी न जानने वाले डूब सकते हैं। शास्त्रों और सत्संग का श्रवण करने वाले लोगों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। उनमें सब परिस्थितियों को समत्वपूर्वक स्वीकारने योग्य […]
अमृत गंगा S2-19 अमृत गँगा, सीज़न २ की उन्नीसवीं कड़ी में, अम्मा ने कहा कि समाज में सच्ची प्रगति तभी होती है जब हम दूसरों के साथ बाँटते हैं। हमारे पूर्वज समग्र दूरदृष्टि के स्वामी थे। उनके निर्णय एक व्यक्ति के नहीं बल्कि समाज के हित में होते थे। आज के समाज में हम ऐसा […]
अमृत गंगा S2-12 अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता […]