अमृत गंगा S2-12 अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता […]
अध्यतन वार्ता
- प्रकृति के तालमेल की समझ अनिवार्य है
- आज्ञाकारिता हो तो विवेक का होना स्वाभाविक है
- गुरु परमात्म स्वरुप है
- स्वस्थ मन ही सुख की नीव है
- मन संयमित तो वचन संयमित
- ध्यानात्मक मन से वचन और कर्म अच्छे बनते हैं
- आध्यात्मिकता मानसिक शक्ति प्रदान करने वाली विद्या है
- आध्यात्मिकता भौतिकता से भिन्न नहीं
- निस्वार्थ सेवा स्वयं को देखने का आईना है
- बदलाव अपने दृष्टिकोण में हो
When Love is there, distance dosen't matter.
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