अमृत गंगा S2-12 अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता […]
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अमृत गंगा 4 अमृत गंगा की चौथी कड़ी में, अम्मा ने कहा है कि दुनियाँ की लगभग हर समस्या का एक-शब्द में समाधान कहना हो तो वो है ‘करुणा’। माँ बच्चे के स्तर पर उतर कर, उसे ऊपर उठाती है। उसी प्रकार, हमें यह जानना होगा कि हम दूसरों से भिन्न नहीं हैं और उनके […]
एक बार एक संपन्न व्यापारी था जिसकी एक दुकान थी। उसे प्रायः व्यापार के सिलसिले में बाहर जाना पड़ता था, अतः उसने एक मैनेजर रख लिया जिसे उसने दुकान की रोज़मर्रा की सब ज़िम्मेदारी सौंप दी – जैसे रोज़ के कारोबार का हिसाब-किताब रखना आदि। उसने उसे यह आदेश दिया कि प्रतिदिन के लाभ का […]
अम्मा के मन में कुछ चल रहा है। प्रकृति एक विशाल बगिया है। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं लोग इस बगिया के विविध रंगों के पूर्ण-विकसित फ़ूल हैं। इस फुलवारी का सौन्दर्य तभी पूर्ण होता है जब ये सब एक होकर रहें, प्रेम तथा एकता की तरंगें फैलाएं। ईश्वर करें कि हम सबके मन प्रेम में भीग […]