अमृत गंगा S2-02 अमृत गंगा सीजन 2 की दूसरी कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें जगत में यूँ रहना चाहिए कि जगत हम में प्रवेश न करने पाए। जगत और इसकी वस्तुएं हमारे दुःख का कारण नहीं बल्कि अपना मन ही दुःख का मूल है। हमें अपनी इच्छाओं,वासनाओं के स्वभाव को समझना चाहिए। वे […]
अध्यतन वार्ता
- सुख के सच्चे स्रोत, ‘आत्मा’ को जाने
- आलस्य छोड़ कर्म में निरत रहने से संतृप्ति मिलती है
- सतर्कता ही भक्ति को महान बनाती है
- कुछ भी तुच्छ नही, ऐसा सामाजिक बोध जागृत करें
- श्रद्धा पूर्ण वर्तमान कर्मों से भविष्य शांतिदायक होगा
- संकट को कर्मफल मानकर ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखना चाहिए
- दुख के स्वीकार से दुख अशक्त होता है
- यथास्थिति स्वीकृति भाव जीवन में शांति और तृप्ति लाती है
- हर समस्या हमारे शक्ति के जागरण का माध्यम है
- झुकने और देने का मनोभाव अहंकार का नाश करता है
When Love is there, distance dosen't matter.
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