अमृत गंगा S2-27 अमृत गँगा सीज़न २ की सत्ताईसवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि आजकल लोगों का भाव है कि, “मुझे जो चाहिए, वो चाहिए ही। मुझे दूसरों से क्या लेना-देना?” इसी तरह गृहस्थ जीवन में भी पति पत्नी से प्रेम की याचना करता है और पत्नी पति से। सब प्रेम पाना चाहते हैं। […]
अध्यतन वार्ता
- सुख के सच्चे स्रोत, ‘आत्मा’ को जाने
- आलस्य छोड़ कर्म में निरत रहने से संतृप्ति मिलती है
- सतर्कता ही भक्ति को महान बनाती है
- कुछ भी तुच्छ नही, ऐसा सामाजिक बोध जागृत करें
- श्रद्धा पूर्ण वर्तमान कर्मों से भविष्य शांतिदायक होगा
- संकट को कर्मफल मानकर ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखना चाहिए
- दुख के स्वीकार से दुख अशक्त होता है
- यथास्थिति स्वीकृति भाव जीवन में शांति और तृप्ति लाती है
- हर समस्या हमारे शक्ति के जागरण का माध्यम है
- झुकने और देने का मनोभाव अहंकार का नाश करता है
When Love is there, distance dosen't matter.
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