अमृत गंगा S3-88 सीज़न 3, अमृत गंगा की अट्ठासीवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, ‘ईश्वर से प्रार्थना करें, वचन या दृष्टि से किसी को दुःख न पहुंचायें – यही सच्ची भक्ति है; ज्ञान है और सच्ची प्रार्थना।’ अम्मा के कार्यक्रम ‘ऑस्ट्रेलिया’ की मेलबर्न सिटी में । अम्मा भजन गाती हैं ‘आओ मुरलीधर ’।
अध्यतन वार्ता
- साधना में मनोभाव का प्राधान्य है
- दूसरों के काम आए, वही सच्ची संपत्ति और ऐश्वर्य है
- छोटे-छोटे कर्मों में भी सतर्कता भरते
- विनीत कर्मों से अनुशासन आता है
- अच्छी आदतों का नियमित रूप से पालन करें
- शब्दों का उपयोग सावधानी से करें
- कृतज्ञता, कृपा का स्रोत
- मूल्यौं का पालन ही आध्यात्मिकता है
- प्रेम – जीवन का आधार है
- शुद्ध प्रेम की भाषा असीमित है
When Love is there, distance dosen't matter.
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