अमृत गंगा 24 अमृत गंगा की चौबीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें दुःखी लोगों को सांत्वना देनी चाहिए। लोग अज्ञानवश, अशिष्टतापूर्ण व्यवहार करते हैं और हमें ऐसी स्थितियों में बोध बनाये रखना चाहिए। हमें दूसरे लोगों की मनःस्थिति व आध्यत्मिक-विकास को समझना चाहिए। जीवन में आने वाली विभिन्न परिस्थितियों को साक्षी भाव से […]
अध्यतन वार्ता
- सुख के सच्चे स्रोत, ‘आत्मा’ को जाने
- आलस्य छोड़ कर्म में निरत रहने से संतृप्ति मिलती है
- सतर्कता ही भक्ति को महान बनाती है
- कुछ भी तुच्छ नही, ऐसा सामाजिक बोध जागृत करें
- श्रद्धा पूर्ण वर्तमान कर्मों से भविष्य शांतिदायक होगा
- संकट को कर्मफल मानकर ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखना चाहिए
- दुख के स्वीकार से दुख अशक्त होता है
- यथास्थिति स्वीकृति भाव जीवन में शांति और तृप्ति लाती है
- हर समस्या हमारे शक्ति के जागरण का माध्यम है
- झुकने और देने का मनोभाव अहंकार का नाश करता है
When Love is there, distance dosen't matter.
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