अमृत गंगा S2-39 अमृत गँगा सीज़न २ की उनतालीसवीं कड़ी में, अम्मा गुरु-शिष्य सम्बन्ध को अलौकिक व उत्कृष्ट बता रही हैं। वो कहती हैं कि यह सबसे उदात्त सम्बन्ध है, जिसमें रंचमात्र भी स्वार्थ नहीं है..माँ-बच्चे सम्बन्ध से भी कहीं बढ़ कर! एक ओर है कृपा और वात्सल्य तो दूसरी ओर पूर्ण समर्पण और दास्य-भाव […]
अध्यतन वार्ता
- सुख के सच्चे स्रोत, ‘आत्मा’ को जाने
- आलस्य छोड़ कर्म में निरत रहने से संतृप्ति मिलती है
- सतर्कता ही भक्ति को महान बनाती है
- कुछ भी तुच्छ नही, ऐसा सामाजिक बोध जागृत करें
- श्रद्धा पूर्ण वर्तमान कर्मों से भविष्य शांतिदायक होगा
- संकट को कर्मफल मानकर ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखना चाहिए
- दुख के स्वीकार से दुख अशक्त होता है
- यथास्थिति स्वीकृति भाव जीवन में शांति और तृप्ति लाती है
- हर समस्या हमारे शक्ति के जागरण का माध्यम है
- झुकने और देने का मनोभाव अहंकार का नाश करता है
When Love is there, distance dosen't matter.
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