अमृत गंगा S4-01 सीज़न 4, अमृत गंगा की पहली कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “बच्चो, दुखी रहकर जीवन को गंवाओ मत! चरइवेति!” अम्मा भजन गाती हैं ‘पाशांकुशधर‘। सेवा अनुभाग में हम अमृता निकेतन की एक कहानी लेकर आए हैं – करुणा के माध्यम से जीवन में बदलाव के प्रसंग।
अध्यतन वार्ता
- विषाद – परमात्मा स्मरण का अवसर
- महात्मा के सामीप्य से ईश्वरत्व जगता है
- साधना नाम है सावधानी का
- ध्यान दे तो हर वस्तु शिक्षाप्रद है
- हर व्यक्ति, वस्तु हमारा गुरु हो सकता है
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
When Love is there, distance dosen't matter.
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