अमृत गंगा 30 अमृत गंगा की तीसवीं कड़ी… अम्मा यहाँ बता रही हैं कि मन विचित्र है! हम पुरानी चीज़ों से ऊब कर, नई खोजते रहते हैं। यहाँ तक कि अपने सम्बन्धों से भी ऊब जाते हैं। बस…नहीं ऊबते तो अपने विचारों से! कई लोगों को तो अपने बचपन की फ़िज़ूल की चीज़ें तक याद […]
अध्यतन वार्ता
- प्रतिक्षण मनन करके आंतरिक ऊर्जा संचय करें
- हर अनुभव पूर्व कर्म का फल है
- प्रिय वस्तु का अर्पण सही समर्पण है
- मोक्ष-प्राप्ति के लक्ष्य को भूले बिना कर्म करें
- अनुभव गुरु है, तदानुसार कर्म करें
- कर्मों का महत्त्व मनोभाव में निहित है
- मन ही अपना मित्र और शत्रु है
- धर्म से ही जग में समरसता है
- धर्म का प्रभाव समूचे प्रपंच में सम होता है
- राम राज्य सर्वोत्तम राज्य का पर्याय है
When Love is there, distance dosen't matter.
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