Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S3-08 अमृत गँगा,सीज़न ३ की आठवीं कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि जीवन में समस्याओं का आना अवश्यम्भावी है। उनके समाप्त होने की राह देखना,समुद्र की लहरों की समाप्ति राह देखने जैसा है! हम में साहस और धैर्य होना चाहिए। आध्यात्मिकता हमें आवश्यक मानसिक शक्ति देती है। इस कड़ी में, अम्मा की भारत […]

अमृत गंगा S3-07 अमृत गँगा,सीज़न ३ की ७वीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि चाहे हम प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने का कितना भी प्रयत्न क्यों न करें, विफलता अपरिहार्य है। उत्कृष्ट खिलाड़ी भी हर बार नहीं जीतता। जैसे हम सफ़लता को स्वीकार करते हैं, वैसे ही विफलता को भी स्वीकार करना सीखना चाहिए। जीवन […]

अमृत गंगा S3-06 अमृत गँगा,सीज़न ३ की छठी कड़ी में,अम्मा कह रही हैं कि हमें उन वस्तुओं को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे जीवन में शान्ति,सुख और संतृप्ति ले कर आती हैं। हमें अपनी साधना और भजन के लिए थोड़ा समय निकालना ही चाहिए। साथ ही,अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह भी करना चाहिए और यह सोचें […]

अमृत गंगा S3-05 अमृत गँगा, सीज़न ३ की पांचवी कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि हम सबका अपना-अपना दृष्टिकोण होता है! हम अपनी-अपनी मानसिकता के अनुसार देखते और आकलन करते हैं। कोई शिल्पी ही एक पत्थर में से सुन्दर मूर्ति गढ़ सकता है। कोई इसे भवन-निर्माण में इस्तेमाल कर सकता है तो कोई भले […]

अमृत गंगा S3-04 अमृत गँगा, सीज़न ३ की ५वीं कड़ी में, अम्मा उस राजा की कहानी सुना रही हैं जिसका मंत्री और कवि, दोनों अधार्मिक और धोखेबाज़ थे, फिर भी उसके मन को श्रीराम से अपनी तुलना भाती थी। जब ऐसे लोगों की संगति हो तो उसका राज्य रामराज्य-तुल्य कैसे कहा जा सकता था? आदर्श […]