Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S3-21 अमृत गंगा, सीज़न ३, इक्कीसवीं कड़ी; अम्मा ने कहा कि कितने लोग हैं जो गरीबी और अज्ञान से पीड़ित हैं। हमें उन्हें इनसे राहत दिलाने के लिए जो बन पड़े, सो करना चाहिए। हम उन्हें ज्ञान का प्रकाश दें, निराश जनों को प्रोत्साहन दें और दुखियों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाएं। […]

अमृत गंगा S3-23 अमृत गँगा, 23वीं कड़ी, सीज़न 3, अम्मा ने कहा कि आज विश्व दो प्रकार की गरीबी से ग्रसित है। एक गरीबी प्रेम की और दूसरी भोजन, जल और आवास जैसी मूल आवश्यकताओं की। पहली प्रकार की गरीबी को मिटा सकें तो हम दूसरी प्रकार गरीबी से भी मुक्त हो सकते हैं। जहाँ […]

अमृत गंगा S3-22 अमृत गंगा, सीज़न 3, कड़ी 22: अम्मा हमें याद दिला रही हैं कि हम अलग-थलग द्वीप नहीं बल्कि एक ही शृंखला की कड़ियाँ हैं। एक अकेले व्यक्ति के लिए परिवर्तन लाना शायद संभव न हो लेकिन कई लोग मिल कर करें तो दूसरों की भलाई के लिए कुछ अच्छा अवश्य कर सकते […]

अमृत गंगा S3-18 अमृत गँगा सीज़न ३ की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हम किसी भी कार्य को बड़ा या छोटा न समझें बल्कि प्रत्येक कर्तव्य-कर्म को समान आदर दें। भगवान कृष्ण ने हमें दिखलाया कि हर कर्म आदरणीय है, गरिमामय है। उन्होंने जितने आनन्द से घोड़ों की सेवा की, उतने ही […]

अमृत गंगा S3-19 अमृत गँगा, सीज़न ३ की उन्नीसवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि अक्सर लोगों को अपने नाम, पद-प्रतिष्ठा और जाति का अभिमान होता है लेकिन श्रीकृष्ण ने कभी किसी को नाम और पद के अनुसार बड़ा-छोटा नहीं माना। इन संकीर्णताओं से ऊपर उठ कर मानसिक विशालता और संतृप्ति मिलती है। इस कड़ी […]