Category / उपदेश

फूल जब कली होता है तो हम उसकी सुगंध एवं सौन्दर्य का आनन्द नहीं उठा सकते। और उसे खींच-खींच कर खोलने में तो कोई समझदारी नहीं है। हमें उसके सहज विकास के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करनी होगी, तभी हम उसके सौन्दर्य एवं सुगंध का आनन्द ले सकेंगे। यहाँ धैर्य की आवश्यकता है। प्रत्येक पत्थर में […]

हमारे देश में अनेक धर्मों के लोगों के लिए बहुत से पूजा-स्थल हैं – हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख तथा ईसाई लोग अपने-अपने पूजा-स्थलों पर जा कर प्रार्थना करते हैं। फिर भी सच्ची धार्मिकता के विकास का कोई चिन्ह नहीं दिखाई पड़ता। कोई भी धर्म आक्रामकता तथा भ्रष्टाचार की अनुमति नहीं देता। उसके बावजूद हम अधिकाधिक ऐसी […]

प्रश्न— यदि किसी व्यक्ति में, आत्मज्ञान पाने के बजाय, सद्‌गुरु की सेवा की भावना प्रबल हो तो क्या सद्‌गुरु उसे अगले जन्मों में भी उपलब्ध होंगे? अम्मा— यदि यह भावना ऐसे शिष्य की है जिसने सद्‌गुरु को पूर्ण समर्पण कर दिया है, तो सद्‌गुरु निश्चय ही सदा उसके साथ रहेंगे। परंतु शिष्य को एक क्षण […]

प्रश्न— अम्मा, इस युग में आत्मज्ञान पाने के लिये कौन सा पथ श्रेष्ठ है? अम्मा— आत्मज्ञान कहीं बाहर बैठा हुआ नहीं है जिसे जाकर पाया जा सके। भगवान कृष्ण कहते हैं – ‘चित्त की समता ही योग है’। हमें हर वस्तु में दिव्य चेतना दिखनी चाहिये, तभी हम पूर्णता पा सकेंगे। हमें हर वस्तु में […]

एक बार एक व्यक्ति ने एक धनाढ्य इलाके में एक आलीशान भवन किराये पर लिया। धीरे-धीरे उसे भ्रम हो गया कि वो राजा है और बहुत अहंकारी हो गया। एक दिन एक साधु उसके घर पर भिक्षा मांगने आया तो उसने बड़ा निन्दनीय व्यवहार किया। साधु ने कहा, “तुमने यह घर किराये पर ही तो […]