“मैं देह हूँ” – एक असत भावना है। देह को जीवन प्रदान करने वाला है वो चेतन तत्व जो हमारा असली स्वरूप है। उदाहरण के लिए, जब तक पीटर नामक एक व्यक्ति जीवित है तब तक उसे गली में से गुज़रते देख कर लोग कहते हैं, “वो देखो पीटर जा रहा है।” किन्तु जब वे […]
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अम्मा के मन में कुछ चल रहा है। प्रकृति एक विशाल बगिया है। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं लोग इस बगिया के विविध रंगों के पूर्ण-विकसित फ़ूल हैं। इस फुलवारी का सौन्दर्य तभी पूर्ण होता है जब ये सब एक होकर रहें, प्रेम तथा एकता की तरंगें फैलाएं। ईश्वर करें कि हम सबके मन प्रेम में भीग […]
हममें से अधिकतर लोग क्या भूत के विलाप और भविष्य की चिन्ता में ही जीवन नहीं बिता देते? लगभग सभी वर्तमान क्षण के सुख से वंचित रह जाते हैं। हम जीवन के सौन्दर्य व आनन्द को भूल जाते हैं। यह सब हमारी मनःस्थिति के कारण होता है। हमें एक दरजी जैसा होना चाहिए। यहाँ अम्मा […]
अम्मा के विदेशी भक्त, युद्ध के कभी न समाप्त होने वाले भीषण आक्रमणों पर, प्रायः अपनी कुण्ठा व्यक्त करते हैं। वे अम्मा से पूछते हैं, “क्या इस पागलपन का कोई अन्त नहीं है?” जगत् के आदि से ले कर संघर्ष चला आ रहा है। यह कहना कि इसे पूर्णतया समाप्त कर देना असंभव है, व्यग्रता […]
ऋषि-मुनियों की पावन धरा भारत की विश्व को यह अनूठी वैचारिक देन है – गुरु। परन्तु हमारी पाश्चात्य देशों की नक़ल का परिणाम है कि आज बहुत से बच्चे इस विषय पर भ्रम को उत्पन्न कर रहे हैं। एक व्यक्ति ने हाल ही में अम्मा से पूछा, “गुरु के शरणागत होना तो दुर्बल मन का […]

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