Category / उपदेश

आश्रम में आये एक व्यक्ति ने अम्मा को बताया कि, “शराब का सेवन न केवल महिलाओं के लिए, अपितु सभी के लिए हानिकारक होता है। स्त्रियों अथवा पुरुषों – किसी को भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।” अम्मा भी यही कहना चाहती है। शराब सजगता एवं विवेक-शक्ति का नाश कर देती है। लोग शराब […]

मेरे बच्चे क्या एक ऐसे परिवार की कथा सुनना चाहेंगे जो बैकवाटर्स, नहरों तथा धान के खेतों में हॉउसबोट में यात्रा करता था? बैकवाटर्स के समीप एक धान के खेत में पानी भर गया था। पिता, पत्नी, बच्चों तथा अन्य सम्बन्धियों ने सोचा कि वे लोग धान के खेत के छोटे रास्ते से निकल जायेंगे। […]

जब हम किसी से प्रश्न करते हैं कि जीवन कैसा चल रहा है तो केवल दुःख भरी कथाएँ ही सुनने को मिलती हैं। इसका कारण क्या है? बिना सोची-समझी आसक्ति ही हमारे जीवन में दुःख को निमंत्रित करती है। क्या हमें इससे कुछ सार्थक भी प्राप्त होता है? अपने परिवार के सदस्यों की हमारी अनवरत […]

हम सबमें ज्ञान है किन्तु सजगता नहीं। इसीलिये, हम अपने जन्म-सिद्ध अधिकार की प्राप्ति में असमर्थ हैं। हम सोचते कुछ हैं, कहना कुछ चाहते हैं पर कह देते हैं कुछ और। और अन्ततः जो करते हैं वो उससे बिलकुल हट कर होता है। क्या यह हम सभी के लिये सत्य नहीं? हम सब मानो एक […]

‘‘तुम कौन हो?’’ – इस प्रश्न के विभिन्न उत्तर सुनने को मिलते हैं जैसे – ‘मैं हिन्दू हूँ’, ‘मैं ईसाई हूँ’, ‘मैं मुसलमान हूँ’, ‘मैं इंजीनियर हूँ’, ‘मैं डॉक्टर हूँ’…। इन सबमें जो सामान्य है वो है ‘मैं’ जिसका अपना कोई नाम, रूप नहीं है। यह वही परम तत्त्व है जिसे आत्मा, ब्रह्म अथवा परमात्मा […]