Category / उपदेश

पत्नी का ऐसा ही सम्बन्ध पति के साथ होना चाहिए। जब पति दफ्तर से घर लौटे तो उसका मुस्कुरा कर स्वागत करे। उस समय जो कुछ कर रही हो उसे छोड कर, चेहरे पर मुस्कान लिए लपक कर दरवाजे पर जाना चाहिए। फिर प्रेम सहित उसके लिए कुछ पेय ले आये व उसके साथ बैठ […]

“बच्चों, हमारे पास कितनी भी संपत्ति हो, यदि हमें परिवार व समाज में इसके स्थान या इसके उचित प्रयोग की जानकारी न हो, तो प्रसन्नता हमसे दूर ही रहती है। असीम संपत्ति से भी प्राप्त सुख अनित्य होता है, नित्य नहीं। कंस और हिरण्यकशिपु क्या अतुल्य संपत्ति के स्वामी नहीं थे? रावण के पास सब […]

हृदय और बुद्धि दो अलग चीज़ें नहीं है। जब तुममे विवेक बुद्धि होगी, तब स्वाभाविक तौर पर तुम अधिक उदार और विशाल हृदय होगे। उस विशालता से निश्छलता, सहयोगिता, विनम्रता और सहभागिता अपने आप पैदा होगी।

यज्ञ का सिद्धांत है कि कोई कहीं भी, किसी भी युग में रहे, सभी लोगों को प्रकृति के नियमानुसार परस्पर प्रेम तथा एकतासहित रहना चाहिए। हम प्रकृति से जितना लेते हैं उसके बदले में उसे कुछ लौटाने की कर्तव्य-भावना से इस पंचमहायज्ञ के चलन का श्रीगणेश हुआ। गृहस्थाश्रमियों के लिए जिन पंचमहायज्ञों का विधान है, […]

भक्तमहिला – अम्मा, पारिवारिक जीवन के जिम्मेदारियों के बीच ध्यान और जप के लिए कैसे फुरसत मिलेगी? अम्मा – जिन्हें सचमुच इच्छा हो उनके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। हार्दिक अभिलाषा होनी चाहिए। सप्ताह में कम से कम एक दिन बच्चें एकान्त मे बैठकर साधना करें। जिम्मेदारियाँ और काम हो सकते हैं, तो भी […]