अमृत गंगा 19 अमृत गंगा की उन्नीसवीं कड़ी में, अम्मा हमें प्रोत्साहित कर रही हैं कि हम कृष्ण और राम जैसे महात्माओं के जीवन-चरित्र को पढ़ें, सुनें ताकि हम जानें कि उन्होंने अपने जीवन में समस्याओं का सामना कैसे किया। उनकी तरह, हमें भी परमात्मा पर निर्भर रहना चाहिए। परमात्मा या सद्गुरु में हमारा विश्वास […]
Category / अमृतगंगा
अमृत गंगा 18 अमृत गंगा की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि जब चीज़ें हमारे मन मुताबिक न हों तो इसे अपने पूर्वकर्मों का फल समझना चाहिए; भाग्य को दोष नहीं देना चाहिए। रोने-धोने की बजाय हमें इसे स्वीकार करके, आगे बढ़ जाना चाहिए। अगर कोई फ़िसल कर गिर जाता है तो […]
अमृत गंगा 17 अमृत गंगा की सत्रहवीं कड़ी में, हम देखेंगे कि अन्य साधु-संतों की तरह, अम्मा भी निस्स्वार्थ सेवा को बहुत महत्त्व देती हैं। अम्मा कहती हैं कि यदि हम पूरे मनोयोग के साथ निस्स्वार्थ सेवा और साधना में लग जाएँ तो हम मन को निश्चित ही शुद्ध बना सकते हैं। परमात्मा पर मनन […]
अमृत गंगा 16 अमृत गंगा की सोलहवीं कड़ी.. यहाँ अम्मा अंध-संत सूरदास के विषय में बता रही हैं जिन्हें सत्य का बोध हुआ और जिन्हें भगवान कृष्ण के दर्शन अपने अन्तर्चक्षुओं से होते थे। अम्मा कहती हैं कि सूरदास जैसे भक्त समस्त जगत को ईश्वर-रूप देखते हैं। उनका अनुभव होता है कि कण-कण में परमात्मा […]
अमृत गंगा 15 अमृत गंगा की पंद्रहवीं कड़ी.. अम्मा हमें नियमित ध्यानाभ्यास और उसमें एकाग्रता की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। अम्मा कहती हैं कि ध्यानाभ्यास के कुछ क्षण भी सोने, हीरे-जवाहरात समान अनमोल होते हैं। लेकिन वो हमें चेतावनी भी दे रही हैं कि हम इस सोने और […]

Download Amma App and stay connected to Amma