अमृत गंगा S2-22 अमृत गँगा सीज़न २ की बाईसवीं कड़ी में, अम्मा नवरात्रि के विषय में बताते हुए कह रही हैं कि देवी माँ की पूजा की नौ रातें मात्र धार्मिक आचार नहीं। इसे विज्ञान और वैश्विक सत्य का समर्थन भी प्राप्त है। हम न केवल देवी माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं […]
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अमृत गंगा S2-21 अमृत गँगा सीज़न २ की इक्कीसवीं कड़ी में अम्मा कहती हैं कि बुरी वासनाओं पर विजय पाना कठिन है। मन में बुरे विचारों की चिंगारी उठते ही, उसे बुझाना आसान होता है। लेकिन उन्हें शीघ्र न बुझाया जाये तो भयानक और विनाशकारी आग का रूप ले सकती हैं। हम उन्हें शुरुआत में […]
अमृत गंगा S2-20 अमृत गँगा,सीज़न २ की बीसवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारी आदतें हमारा स्वभाव बन कर हमें अपने वश में कर लेती हैं। हम राग-द्वेष और अपनी आदतों के दास हैं। चूँकि हम क्षणिक सुखों के पीछे भागते रहते हैं इसीलिये आध्यात्मिक स्वातंत्र्य अथवा आनन्द को अनुभूत नहीं कर पाते। […]
अमृत गंगा S2-19 अमृत गँगा, सीज़न २ की उन्नीसवीं कड़ी में, अम्मा ने कहा कि समाज में सच्ची प्रगति तभी होती है जब हम दूसरों के साथ बाँटते हैं। हमारे पूर्वज समग्र दूरदृष्टि के स्वामी थे। उनके निर्णय एक व्यक्ति के नहीं बल्कि समाज के हित में होते थे। आज के समाज में हम ऐसा […]
अमृत गंगा S2-18 अमृत गँगा सीज़न २ की अठारहवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारा लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार होना चाहिए। जीवन में आपदा-विपदा तो आती ही रहेंगी। जीत और हार स्वाभाविक हैं। लेकिन हमें कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अपनी साधना कभी नहीं छोड़नी चाहिए। आगे बढ़ते रहना सीखना है। इस कड़ी में अम्मा […]

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