अमृत गंगा S3-43 सीज़न ३, अमृत गँगा की तैंतालीस वें कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि यदि हम अपना मन परमात्मा को समर्पित करके, आध्यात्मिक तत्व को समझते हुए आगे बढ़ें तो, प्रत्येक वस्तु को साक्षी भाव से देख पाएँगे। अम्मा की यात्रा फ़्रान्स के टूलॉन में जारी है। अम्मा ने आज मराठी भाषा […]
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अमृत गंगा S3-42 सीज़न ३, अमृत गंगा की बयालीसवीं कड़ी में अम्मा बता रही हैं कि समर्पण भाव आत्म-साक्षात्कार का कारण बनता है और न केवल मृत्यु के पार बल्कि ‘मैं’ और ‘मेरा’ के भाव के परे ले जाता है! अम्मा की यात्रा फ़्रांस के टूलॉन में जारी है। अम्मा एक बंगाली भजन गा रही […]
अमृत गंगा S3-41 सीज़न ३, अमृत गंगा की इकतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि जैसे कागज़ पर शहद लिख कर चाटने से मिठास का अनुभव नहीं होता; वैसे ही वेदांत पर शास्त्रार्थ कर लेने का अर्थ यह नहीं कि तुमने इसके तत्त्व को जीवन में भी उतारा है। अम्मा की यात्रा फ़्रांस के […]
अमृत गंगा S3-40 सीज़न ३, अमृत गंगा की चालीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि चौबीसों घंटे काम करते रहने का नाम त्याग नहीं है। दूसरों की सेवा हेतु अपनी नींद का त्याग, ज्ञान पर आधारित त्याग कहलाता है। अम्मा की यात्रा जर्मनी के हॉफ़ हैरनबर्ग में जारी है। अम्मा ने ‘अमृत कले’ भजन […]
अमृत गंगा S3-39 सीज़न 3, अमृत गँगा की उनतालीसवीं कड़ी में अम्मा कहती है मनुष्य-जीवन पाकर क्या हम विवेक सहित रहते हैं? विवेक जहाँ अपने आपे को खोलने की कुञ्जी है; वहीं जीव-जगत के प्रति करुणा को बढ़ाने का साधन भी है। इस कड़ी में अम्मा की यात्रा जर्मनी के हॉफ हैरनबर्ग में ही जारी है। […]

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