Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S4-11 सीज़न 4, अमृत गंगा की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “हमारा मन गंदे पानी की तरह है। जब इसे छाना जाता है, तो यह शुद्ध हो जाता है। यह शुद्ध प्रेम ही वह छन्नी है, जो अहंकार के कीटाणुओं को नष्ट कर देती है।” अम्मा गणेश भजन गाती हैं, ‘वंदना करुँ […]

अमृत गंगा S4-10 सीज़न 4, अमृत गंगा की दसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “गलत कर्म हमारे आभामंडल को धूमिल कर देते हैं, जिससे प्रियजन भी हमारे खिलाफ हो सकते हैं। ऐसे कठिन समय में हमें भगवान के चरणों को और भी दृढ़ता से पकड़ कर रखना चाहिए।” अम्मा गणेश भजन गाती हैं, ‘मंगल वदना’। […]

अमृत गंगा S4-09 सीज़न 4, अमृत गंगा की नवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “सुबह स्कूल के लिए माँ पुकारती है, “उठ बेटा!” जागा है, पर उठता नहीं। माँ छड़ी लेकर आती है, तो तुरंत खड़ा हो जाता है। इसी तरह, अगर हम खुद नहीं बदलेंगे, तो प्रकृति हमें बदलने का तरीका ढूंढ लेगी।” अम्मा […]

अमृत गंगा S4-08 सीज़न 4, अमृत गंगा की आठवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “भगवान कृष्ण में हम एक संपूर्ण जीवन की तस्वीर देखते हैं, जिसमें प्रेम, ज्ञान, करुणा और साहस समाहित हैं। ऐसे गुणों वाला व्यक्ति जीवन की हर स्थिति को स्वीकार कर सकता है और दूसरों में अच्छाई को जागृत कर सकता है।” […]

अमृत गंगा S4-07 सीज़न 4, अमृत गंगा की सातवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं, “मन हमेशा दुखी होने का कारण ढूंढ़ता है, लेकिन दुख में डूबे रहने से घाव नहीं भरते। हमें कठिनाइयों से सीखकर, उनमें भी खुशी ढूंढ़नी चाहिए; यही आध्यात्मिकता का मार्ग है।” अम्मा भजन गाती हैं, ‘पीर जगी है’। प्रस्तुत कड़ी से […]