अमृत गंगा 23
अमृत गंगा की तेईसवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि सब प्रकार के अनुभवों का कारण मन है। हमें अपने मन को जानना होगा। लोग हमें सराहें तो हम हर्षोल्लास से भर जाते हैं और आलोचना कर दें तो क्रोध और निराशा हमें घेर लेते हैं। जैसे संकट का भान होते ही, कछुआ अपने सिर को अंदर खींच लेता है, वैसे ही हमें भी संकट के आने पर अन्तर्मुखी हो कर अपनी सीमितताओं को पहचानना चाहिए। जिन लोगों ने शास्त्रों का अध्ययन किया है, उनमें वस्तुओं को उनके स्वभावानुसार, साक्षी-भाव से देखने की क्षमता होती है। हमें यह समझना होगा कि वस्तुएं सुख का स्रोत नहीं हैं। सुख-दुःख का एकमात्र कारण, मन है।
इस कड़ी में आप देखेंगे..अम्मा की बोस्टन, यू.एस की यात्रा और सुनेंगे अम्मा का गाया हुआ भजन..राधा रानी के प्यारे घनश्याम..

Download Amma App and stay connected to Amma