अमृत गंगा 14
अमृत गंगा की चौदहवीं कड़ी में, अम्मा हमें अपने प्रत्येक वचन और कर्म के प्रति सचेत रहने की याद दिला रही हैं। शब्दों में अर्थ निहित होते हैं, अतः गलत शब्द चोट पहुँचाते हैं। हमारे जीवन में दुःख आते हैं, पूर्वकृत कर्मों के फलस्वरूप! हम पूर्वजन्मों से संचित कर्म ले कर आते हैं। जो अच्छे कर्मों का खाता ले कर आये हैं, वे सुख भोगेंगे और बुरे कर्म-संग्रह वाले दुःख पाएंगे। अतः, अम्मा हमें याद दिलाती हैं कि सत्कर्म करने का प्रयत्न करो।
इस कड़ी में, अम्मा की अमेरिका के सीएटल(वॉशिंगटन) यात्रा को दिखाया गया है। आप अम्मा का भगवान कृष्ण के विट्ठल रूप की स्तुति में, भावपूर्ण गाया भजन ‘विट्ठला हरि विट्ठला’ भी इस कड़ी में सुनेंगे।

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