अमृत गंगा S3-30
सीज़न ३ की अमृत गंगा की तीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि जीवन की पुस्तिका में जो हम कल लिख चुके हैं उसे आज मिटा या बदल नहीं सकते। और न ही आने वाले कल का पन्ना खोल सकते हैं। इसके स्थान पर हम प्रयत्न करें कि आज के पन्ने पर सावधानी के साथ, सुन्दर और स्मरणीय वचन लिखें। ताकि हमारे जीवन का उपयोग विश्व एवं भावी पीढ़ियों को कुछ उपयोगी सहयोग देने में हो सके।
अमृत गंगा की इस कड़ी में अम्मा की यात्रा डेनमार्क में जारी है। अम्मा ने जो भजन गाया है, वो है ‘शंकरा शिवशंकरा’!

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