अमृत गंगा S3-18
अमृत गँगा सीज़न ३ की अठारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हम किसी भी कार्य को बड़ा या छोटा न समझें बल्कि प्रत्येक कर्तव्य-कर्म को समान आदर दें। भगवान कृष्ण ने हमें दिखलाया कि हर कर्म आदरणीय है, गरिमामय है। उन्होंने जितने आनन्द से घोड़ों की सेवा की, उतने ही आनंदपूर्वक अर्जुन को उपदेश दिया। इसी प्रकार, हमें भी अपने पद-प्रतिष्ठा का अति अभिमान नहीं करना चाहिए। कोई कर्म तुच्छ नहीं, सब कर्म महान हैं।
इस कड़ी में भी, अम्मा को आप दिल्ली यात्रा में पाएंगे। ‘जय जय दुर्गे मात भवानी’- अम्मा यह भजन गा रही हैं।

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