अमृत गंगा S3-05
अमृत गँगा, सीज़न ३ की पांचवी कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि हम सबका अपना-अपना दृष्टिकोण होता है! हम अपनी-अपनी मानसिकता के अनुसार देखते और आकलन करते हैं। कोई शिल्पी ही एक पत्थर में से सुन्दर मूर्ति गढ़ सकता है। कोई इसे भवन-निर्माण में इस्तेमाल कर सकता है तो कोई भले इससे चक्की बना ले! पर उसी पत्थर में शिल्पकार को मूरत के दर्शन होते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अगर कहीं कुछ बदलने की ज़रूरत है तो वो है अपना दृष्टिकोण!
इस कड़ी में अम्मा की भारत यात्रा में आप देखेंगे मैंगलोर! साथ ही रसास्वादन कीजिये, ‘अम्बा भवानी जय जगदम्बे’

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